* पीसीपीएनडीटी, नर्सिंग होम व एमटीपी एक्ट में हुए अनियमितता की जॉच की मांग।*

ब्रेकिंग न्यूज़ :

* पीसीपीएनडीटी, नर्सिंग होम व एमटीपी एक्ट में हुए अनियमितता की जॉच की मांग।*

 


0*कोरिया जिले के पूर्व डीपीएम ने शर्मा अस्पताल पर लगाये हैं कई गंभीर आरोप




रायपुर। कोरिया जिले के स्वास्थ्य विभाग में इन दिनो एक दूसरे को बचाने का खेल चल रहा है। देखने में आ रहा है कि लगातार कई मामलो में जॉच कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्धारा जाच दल का गठन कर दिया जाता है किन्तु जाच दल द्धारा महिनो महिना बीतने के बाद भी जाच की फाइल दबाकर कर बैठने के कारण किसी भी शिकायत का निराकरण नही हो पा रहा है। आवेदक डॉ.प्रिंस जायसवाल, निवासी बैकुंठपुर के द्वारा स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत पीसीपीएनडीटी एक्ट, नर्सिंग होम एक्ट, एमटीपी एक्ट का लगातार उल्लंघन तथा केन्द्र एवं राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी योजना में किये गये भ्रष्टाचार के विरुद्ध जांच कराकर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने मांग किया है। उनके द्धारा संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ से किये शिकायत पर कोरिया जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्धारा 31/12/24 को डॉ. श्रेष्ठ मिश्रा, खण्ड चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सोनहत व संगीता सिंह, सहायक ग्रेड 03 स्थानीय कार्यालय को जाच का जिम्मा दिया था। परन्तु जाच अधिकारियो के द्धारा जाच के नाम पर मामले को लटकाया जाता है। 


इनकी हुई थी शिकायत


शिकायतकर्ता द्धारा डॉ. राकेश कुमार शर्मा, संचालक शर्मा हॉस्पिटल, बैकुंठपुर, के द्वारा स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम, 1994 पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट का लगातार उल्लघंन करने के विरूद्ध जांच कराकर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के संबंध में। कोरिया जिले के डीपीएम रह चुके डॉ. जायसवाल के द्धारा कहा गया है कि पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट 1996 नियम 3 (3) (1) के नियमानुसार डॉ. राकेश कुमार शर्मा गभर्वती महिलाओं की सोनोग्राफी हेतु आवश्यक योग्यता नहीं रखते। अतः सोनोग्राफी का कार्य केवल डॉ. रजनी शर्मा (डीजीओ) द्वारा किये जाने का शपथ पत्र लिया जाये। उक्त आदेश के परिपालन में हॉस्पिटल को भविष्य में एक्ट संबंधित किसी भी प्रकार का उल्लघंन किसी भी दशा में नहीं किये जाने एवं मशीन सीलमुक्त की कार्यवाही की जाने का आदेश पारित किया गया है। उन्होने कहा कि संस्था के संचालक के द्वारा 01 वर्षाे भीत्तर दो बार गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम, 1994 पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट का उल्लंघन किया गया है एवं वर्तमान में भी लगातार एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है।

"
"