*सूरजपुर में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में खुली धांधली, शिक्षकों का फूटा आक्रोश।*

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*सूरजपुर में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में खुली धांधली, शिक्षकों का फूटा आक्रोश।*

 


0*नियमों की धज्जियां, महिला शिक्षकों के हक पर डाका, वरिष्ठता को रौंदा गया — शिक्षक साझा मंच ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की*






सूरजपुर। सूरजपुर जिले में युक्तियुक्तकरण विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुरुआत से ही विवादों से घिरी इस प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियों, नियमों के उल्लंघन और मनमानी का आरोप सामने आया है। शिक्षक साझा मंच सूरजपुर ने सप्रमाण दस्तावेजों के साथ कलेक्टर,सांसद‌ और‌ विधायक को ज्ञापन सौंपकर इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। विदित है कि हाल ही में संपन्न युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं उजागर हुई हैं। शिक्षा विभाग की इस कार्यप्रणाली को लेकर शिक्षक संवर्ग में भारी रोष व्याप्त है। शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का घोर अभाव रहा, नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों को मनमाने ढंग से अतिशेष घोषित किया गया। वरिष्ठता सूची को काउंसलिंग में छिपा दिया गया, जिससे वरिष्ठ शिक्षक अन्याय के शिकार हुए। इस प्रक्रिया में शिक्षकों को दावा-आपत्ति की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। कई शिक्षक बिना किसी वैध आधार के अतिशेष कर दिए गए। काउंसलिंग के समय वरिष्ठता सूची को न चस्पा कर वरिष्ठ शिक्षकों को दूरस्थ विद्यालयों में भेजा गया। काउंसलिंग की सूचना देने में भारी जल्दबाजी की गई। 31 मई को सोशल मीडिया पर सूची जारी कर 1 जून को सुबह काउंसलिंग करवा दी गई। इतने कम समय में अनेक शिक्षक समय पर काउंसलिंग में शामिल नहीं हो सके। महिला शिक्षिकाओं के अधिकारों पर भी डाका डाला गया । 9 रिक्त पदों के लिए 37 महिला शिक्षिकाओं को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया, जबकि पुरुष शिक्षकों को पद दे दिए गए। रिक्त पद न होने पर भी मनमानी पदस्थापना कर‌ दी गई है।‌ कई विद्यालयों में जहां संबंधित विषय का व्याख्याता पहले से पदस्थ था, वहां भी उसी विषय के नए व्याख्याता को जबरन पदस्थ कर दिया गया। इससे पुनः अतिशेष की स्थिति उत्पन्न हो गई। नजदीकी रिक्त पदों को छिपाया गया । जिसके कारण महिला शिक्षिकाओं को सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में भेजा गया, जबकि उनके नजदीक रिक्त पद उपलब्ध है। दूसरे अवसर का वादा तोड़ा गया । शिक्षा विभाग ने घोषणा की थी कि 3 जून को अनुपस्थित शिक्षकों को काउन्सलिंग का पुनः अवसर मिलेगा, लेकिन उस दिन पहुंचे शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती वर्मा द्वारा डांटकर वापस भेज दिया गया। संकुल समन्वयकों और शीघ्र सेवानिवृत्त शिक्षकों के साथ अन्याय किया गया। संकुल समन्वयकों को भी अतिशेष किया गया, जबकि सरगुजा जिले में इन्हें मुक्त रखा गया है। छह माह में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को भी राहत नहीं दी गई । शिक्षकों ने गंभीर आरोप लगाए कि जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती भारती वर्मा का व्यवहार शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रति बेहद अशिष्ट और अमर्यादित रहा। आए दिन अभद्रता की घटनाएं चर्चा में हैं। जिला शिक्षा अधिकारी के तानाशाही का आलम यह रहा कि आदेश 6 जून की शाम को 4 जून के बेक डेट पर जारी किया गया, लेकिन 6 जून की दोपहर में ही इनके द्वारा सभी ब्लॉकों से 7 जून तक कार्यमुक्ति की जानकारी मांग ली गई। 4 बजे तक डेडलाइन तय कर दी गई, जिससे शिक्षकों में हड़कंप मच गया। स्थिति और विचित्र तब हो गई जब अगले दो दिन कार्यालय अवकाश के रहे और जिन शिक्षकों को मात्र तीन दिन का समय दिया गया, वे अवकाश के कारण कार्यभार ग्रहण को लेकर असमंजस में पड़ गए। ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक साझा मंच के सचिन त्रिपाठी, यादवेन्द्र दुबे, भूपेश सिंह, विजय साहू, गोपाल विश्वकर्मा, पिताम्बर सिंह, चन्द्रविजय सिंह, रंजय सिंह, शहादत अली, कृष्णा सोनी, राकेश शुक्ला, गौतम शर्मा, राधे साहू, भुवनेश्वर सिंह, मुन्ना सोनी, विक्रम सिंह तोमर, खेलसाय सिंह, रोशन साहू, अंकित कोसरिया, आशीष जायसवाल, सुमित कुमार पटेल सहित अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।

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