* डांडगांव लघुवनोपज समिति पर निर्भर सैकड़ो ग्रामीण।*

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* डांडगांव लघुवनोपज समिति पर निर्भर सैकड़ो ग्रामीण।*



0*तात्कालीन मुंख्यमंत्री के घोषणा पर नहीं हुआ अमल*


0*सरकार बदलने पर नए समिति की गठन प्रक्रिया ठंडे बस्ते में*






बसंत यादव डांडगांव। उदयपुर विकास खण्ड अंतर्गत तेंदू पत्ता संग्रहण करने वाले सैकड़ो ग्रामीण हो आज भी लम्बी दूरी तय करना पड़ा है। डांडगांव लघुवनोउपज समिति के दर्जनों गांव के लोगों ने अलग समिति गठन की मांग की थी। परंतु ग्रामीणों की मांग दो साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी। आलम यह है कि गांवों के लोगों को डांडगांव समिति के ऊपर लघुवनोउपज पर निर्भर रहना पड़ता है। जबकि भीषण गर्मी के बीच तेंदूपत्ता संग्राहकों को समिति आने में 40 से 50 किलोमीटर तय करने को मजबूर है।


गौरतलब है कि डांडगांव लघुवनोउपज समिति के अधीन कुल 23 तेंदूपत्ता फड़ का संचालन किया जाता है। हजारों की संख्या में संगाहकों को अपने वनोउपज को समिति पहुंचाते जिससे उन्हें काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। डांडगांव स्थित समिति के दूर होने पर ग्रामीण ने अलग से घाटबर्रा समिति गठन करने की मांग की थी जिसमें साल्ही, हरिहर पुर, फत्तेपुर, घाटबर्रा, सुसकम, सेदु, परोगिया, पेडरख्खी ,खुझी, बकोई, झिगाझरिया, पहाड़ कोरजा ,चकेरी आमा डुगु, तिलहर, सहित दर्जनों सहित अन्य दर्जनों गांव शामिल है। ग्रामीणों द्वारा लम्बे समय से अलग समिति बनाने की मांग की जा रही है परंतु दो साल बाद भी न तो नए समिति का गठन हो सका और न ही भवन निर्माण हा सका। आज भी समिति के संग्राहकों को बैंक खाता खुलवाने, बीमा योजना की सहायता राशि, जन धन योजना सहित कई काम के लिए न सिर्फ निर्भर होना पड़ता है बल्कि ग्रामीण 40 से 50 किलोमीटर दूर सफर करने को मजबूद है।


दो साल पूर्व की गई थी घोषणा


पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह दो साल पहले ग्राम पंचायत साल्ही आए थे तब उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर घाटबर्रा को तत्काल नया लघुवनोउपज सतिति बनाने की घोषणा की थी। साथ ही अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। परंतु सरकार बदलते समिति बनाने की घोषणा सिर्फ घोषणा ही बन कर रह गई और फाइल टेबल में ही सिमट कर रह गया। नए समिति के गठन नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश है।


भवन में हमेशा लगा रहता है ताला


लम्बे समय बाद डाँड़ गांव लघु वनोपज समिति का भवन निर्माण विगत कुछ वर्ष पूर्व हुआ था लेकिन समिति का ऑफिस हमेशा बंद रहता है।जिससे संग्राहकों को समिति में काम लगने पर भटकना पड़ता है।


उच्च अधिकारियों को मांग आने पर नए समिति गठन के सम्बंध में अवगत करवाया जाएगा।

 

 कमलेश राय रेंजर उदयपुर

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