सोनू कश्यप प्रतापपुर। प्रतापपुर के गोविंदपुर उप स्वास्थ्य केंद्र चार महीना से था बंद लेकिन अखबारों में बडी प्रमुखता से ख़बर प्रकाशित करने के बाद जागा शासन प्रशासन अब 24 घंटे खोला जा रहा गोविंदपुर उपस्वास्थ्य केंद्र, जहां स्वास्थ्य विभाग के नाकामियों का पर्दाफाश किया गया था तथा खबर प्रकाशित होने के बाद शासन प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में मचा था हड़कंभ जिसे देख आनन फानन में जिला स्वास्थ्य विभाग सीएमएचओ अधिकारी सूरजपुर आरएस सिंह के द्वारा तत्काल मामला को प्रभाव से मौका जांच के लिए जांच टीम गठित कर उप स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर भेजा गया, जहां कई प्रकार की अवस्थाएं सामने आई थी एक अनेम के भरोसा चल रहा था स्वास्थ्य सुविधा, नहीं था कोई डॉक्टर, तथा जांच टीम द्वारा निरीक्षण व मरीजों की जांच, व देख रेख़ करते हुए भिन्न भिन्न प्रकार की दवाइयां लेकर पहुंचे, तथा शिविर कैम्प लगाकर डॉक्टरो द्वारा मरीजों का बहुत से बीमारियों का इलाज व उपचार किया गया जिसमें बीपी चेक,शुगर चेक,ब्लड चेकअप,बुखार,उल्टी,दस्त व गर्भवती महिलाओं का उपचार व चेकअप भी किया गया,जिससे वहां पर, इलाज कराने स्थानीय ग्रामीण व महिलाओं लोगों का लगा ताता सैकड़ो लोगों ने कराया इलाज स्थानीय लोगों महिलाओ की मांग उप स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर में एक जानकार डॉ भेजा जाए, क्योंकि जंगली छेत्र होने के चलते हम ग्राम वासियों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जांच करने आए स्थानीय लोग एवं महिलाओं के चेहरों पर दिखा मुस्कान, कहा कि अगर आप जैसे गरीब लाचार ग्रामीणों से लड़ने वाला पत्रकार नहीं रहता तो हम जैसे गरीब महिलाओं, बुजुर्गों की आवाज कौन उठाता है सभी ने मिलकर प्रिंट मीडिया का किया अभार व्यक्त ग्रामीणों के चेहरे में खुशी थी मानो ऐसा लग रहा था की कई महीनो के बाद उन्होंने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कर इस लाभ का आनंद लिया। ज्ञात होगी सुदूर वनांचल क्षेत्र होने के कारण लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं सबसे बड़ी सुविधा स्वास्थ्य सुविधा एवं शिक्षा व्यवस्था होने के साथ शासन प्रशासन के योजना ग्रामीण क्षेत्रों में धरातल पर शून्य नजर आ रही है अब देखना यह होगा कि कितने दिनों के लिए यह व्यवस्था होती है या ग्रामीण आने वाले समय में फिर से आक्रोशित होकर मोर्चा खोलेंगे, फिलहाल रमकोला के एक डॉक्टर को गोविंदपुर में हफ्ते में एक बार दो बार के लिए पदस्थ किए हैं जहां स्वास्थ्य सुविधा सुने हो चुकी थी वहीं कुछ राहत इन गरीब दुखियारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों को प्राप्त होगा। तथा स्वास्थ्य विभाग मैं डॉक्टर की कमी है। और जो डॉक्टर नियुक्त होते हैं उनको अपना मनचाहा स्थान नहीं मिलता तथा ग्रामीण क्षेत्र में जाना नहीं चाहते वह नौकरी लगने के बाद रिजाइन देकर चले जाते हैं जिससे आए दिन इस तरह की समस्याएं निर्मित हो रही है शासन प्रशासन को भी सोचना चाहिए कि ईश्वर कोई ठोस कदम उठानी चाहिए और डॉक्टरी जैसे मानवता धरती के भगवान कहलाने वाले पद को निशुल्क चाहिए पढ़ाई हो ताकि अधिक से अधिक लोग डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज एवं सेवा मदद कर सकें।