सूरजपुर। प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने भाजपा सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को असंतुलित और अन्यायपूर्ण बनाने का आरोप लगाया। दरअसल हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के 10,463 स्कूलों के युक्तियुक्तकरण का आदेश जारी किया है। सरकार का दावा है कि यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में संतुलन लाने और शिक्षकों की बेहतर तैनाती सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। लेकिन विपक्ष, शिक्षक संगठन और कई सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार, जिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बेहद कम है, उन्हें पास के स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। वहीं जिन स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक है, वहां से शिक्षकों को उन स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां शिक्षक नहीं हैं या संख्या बेहद कम है। राज्य के 54185 स्कूलों में से 297 स्कूल पूर्णतः शिक्षकविहीन है, जबकि 7127 स्कूलों में केवल एक शिक्षक कार्यरत है। इस असमानता को दूर करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। सरकारी के आदेश के मुताबिक, युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में 2008 के सेटअप को संशोधित करते हुए प्राथमिक स्कूलों के लिए 1+1 और मिडिल स्कूलों के लिए 1+3 शिक्षक व्यवस्था लागू की गई है। इसका सीधा असर सरगुजा संभाग के 919 स्कूलों पर पड़ेगा। जिसमें बलरामपुर में 414, सूरजपुर में 278 और सरगुजा में 227 स्कूल शामिल हैं। 1+1 प्राइमरी स्कूल में अध्यापन का कार्य एक ही शिक्षक कर पायेगा, एक शिक्षक कार्यालय कार्य हेतु डी.ओ., बी.ओ. आफिस में जाते है और आफिस संबंधित कार्य करते हैं, इसी तरह एक शिक्षक पूरी कक्षा में संपूर्ण शिक्षा की जिम्मेदारी रहेगी जिससे प्राथमिक शिक्षा प्रभावित होगी और इससे बच्चों को सही शिक्षा प्राप्त नही हो पायेगी व अभिभावक मजबूरी में निजी स्कूलो की तरफ जाने के लिए बाध्य होंगे। पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि अन्यायपूर्ण सेटअप बच्चों के अधिकारों का हनन है। दो शिक्षक पहली से पांचवीं तक 18 कक्षाएं कैसे पढ़ा पाएंगे, यह एक अमानवीय सोच है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। अगर सरकार ऐसा नहीं कर सकती, तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए या शिक्षा व्यवस्था निजी हाथों में सौंप देनी चाहिए।