सूरजपुर। पनिका जाति के लिए दिनांक 8 दिसंबर 1971 की तिथि समाज में अभिशाप के रूप में विगत 53 वर्षों से चली आ रही है उक्त तिथि को पनिका समाज द्वारा काला दिवस के रूप में स्मरण किया जाता रहा हैं प्रत्येक वर्ष महामहिम राष्ट्रपति प्रधानमंत्री संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन दिया जाता रहा है कहने को तो भारतवर्ष में एक संविधान एक विधान का प्रचलन है परंतु उक्त तिथि को पनिका जाति जो कि भारत की मूल अनुसूचित जनजाति है अनुसूचित जनजाति वर्ग से पृथक कर दिया गया और पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में दर्ज कर दिया गया चुकी पनिका जाति का रहनी,गहनी, खानपान, माना, गाना, पूजा, पद्धति गोंड जाति के अनुरूप ही है पनिका जाति प्राकृतिक का पुजारी है इस जाति का मुख्य कार्य कृषि, कपड़ा बुनना, कोतवाली, चौकीदारी करना रहा हैं आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक व राजनीतिक रूप से अत्यंत पिछड़ा हुआ जाति है समाज को पुनः अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल किए जाने हेतु विगत 53 वर्षों से संघर्ष किया जा रहा है परंतु शासन प्रशासन के द्वारा कोई सुध नहीं लिया गया विशेष बात यह है भी है कि अभिवाजीत मध्य प्रदेश के 8 जिलों में आज भी पनिका जाति को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल है देश के कई राज्यों में जैसे मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार उड़ीसा अन्य कई राज्यों में पनिका जाति अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में रखा गया है परंतु छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग में इस जाति को सम्मिलित किया गया है पनिका जाति को समुचित विकास अवरूद्ध कर दिया गया है।
उक्त दंश को पनिका जाति झेलते हुए पनिका समाज के लोग शासन प्रशासन को ज्ञापन देने हेतु निम्नलिखित सामाजिक लोग सूरजपुर जिले के दूर दराज गांवों से बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए पनिका समाज के जिला अध्यक्ष शिव शंकर गोयन कोषाध्यक्ष बिहारी लाल कुलदीप उपाध्यक्ष राजू देवांगन शंभू नारायण किशन देवांगन रामबाई देवांगन तुषार कुमार सुनील पड़बार राजू दास सूरज बली उमेश देवांगन संजय देवांगन व बड़ी संख्या में पनिका समाज के लोग उपस्थित रहे।