*जिस पर FIR, जिसकी अब तक रूकी है पेंशन, वो है लोकपाल, इतनी मेहरबानी आखिर क्यों.......?।*

ब्रेकिंग न्यूज़ :

*जिस पर FIR, जिसकी अब तक रूकी है पेंशन, वो है लोकपाल, इतनी मेहरबानी आखिर क्यों.......?।*


0*डिफाल्टर की लिस्ट में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय दुर्ग का नाम भी रहा शामिल*




 महेश प्रसाद

 रायपुर। आज की खबर यू जी सी के द्वारा पूर्व में जारी किए गए निर्देशों पर आधारित है। यू जी सी की एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसमें छ.ग. में स्थित लगभग सभी विश्वविद्यालयों को इस वजह से डिफाल्टर घोषित किया गया था कि यू.जी.सी. के लगातार जारी निर्देशों के बावजूद इन विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों/शोधार्थियों की समस्याओं के शैक्षणिक नियमानुसार त्वरित निदान के लिये *लोकपाल* की नियुक्ति नहीं की गयी है। इस लिस्ट में महात्मा गाॅधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, दुर्ग का नाम भी था। इस सम्बन्ध में म.गां. उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय को यू.जी.सी. का एक पत्र भी प्राप्त हुआ था।


विदित हो कि छ.ग. के सभी विश्वविद्यालयों के द्वारा यू.जी.सी. की गाइडलाइन के अनुसार पालन करते हुए लोकपाल नियुक्त कर जानकारी यू.जी.सी. को भेजी गई जबकि महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा वि.वि नोटिफिकेशन क्र./Registrar/Acad.-16-3-6/ 2024/296 दिनाॅक 24.06.2024 को जिस पर FIR दर्ज है, उनकी पेंशन रोकी गई है उन्हे वि.वि. का लोकपाल नियुक्त कर कार्योत्तर अनुमोदन हेतु ऐजेण्डा के रूप में महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल की चतुर्थ बैठक दिनाॅक 10.07.2024 को प्रस्तुत किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस प्रक्रिया में इनके विशेष सलाहकार डाॅ0 तोरण लाल साहू, सहा० प्राध्यापक (पुष्प विग्यान) जो विश्वविद्यालय के साहब के खास करीबी माने जाते है उनको इसका प्रतिफल ओ.एस.डी. की नियुक्ति के रूप में मिला है, का विशेष योगदान रहा। बताया तो यह भी जाता है कि कुलसचिव के द्वारा इनको जानकार, विद्वान व अनुभवी बताते हुये कुलसचिव कार्यालय की समस्त नस्तियों का संचालन श्री साहू से ही कराया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि विश्वविद्यालय में एक सहायक कुलसचिव के रहने के क्या मायने है ?  


ज्ञात हो कि कुलसचिव व इनके तथाकथित ओ.एस.डी. डाॅ० तोरण लाल साहू के द्वारा हमेशा कुलसचिव कार्यालय की गतिविधियों से सहायक कुलसचिव को दूर रखा जाता है और कुलसचिव कार्यालय की समस्त नस्तियाॅ डाॅ० तोरणलाल साहू के माध्यम से ही चलायी जाती हैं। नियमसंगत तब होता जब विश्वविद्यालय में भी विद्यार्थियों से सम्बन्धित शैक्षणिक प्रकरणों के त्वरित निदान के लिये लोकपाल को नियुक्त किये जाने के इतने महत्वपूर्ण प्रकरण को सबसे पहले विश्वविद्यालय की विद्या परिषद् में रखा जाना चाहिये था, परन्तु कुलसचिव श्री खरे के द्वारा सीधे दाऊ श्री वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय , दुर्ग के एक रिटायर्ड व विवादित प्रोफेसर डाॅ० पी.एल. चौधरी को विश्वविद्यालय का लोकपाल नियुक्त कर दिया गया ।आपको बताते चले कि श्री चौधरी के रिटायरमेन्ट के लगभग दो वर्ष बाद भी आज दिनाॅक तक इन पर हुई एफ.आई.आर. के कारण इनका पेन्शन का प्रकरण लम्बित है। इस प्रकरण में प्रबन्ध मंडल ने इस पर आपत्ति भी की और श्री चौधरी पर पहले से हुई एफ.आई.आर के सम्बन्ध में परीक्षण कर पुनः विधिसंगत प्रबन्ध मंडल में प्रस्तुत करने को कहा गया। चुॅकि इनको मालूम था कि तत्कालिक कुलपति का कार्यकाल कब तक है, तो कुलसचिव श्री खरे व इनके सहयोगी डाॅ० साहू के द्वारा इन्तजार किया गया व कुलपति का चेहरा बदलते ही लोकपाल की नस्ती में कूटरचना करते हुये विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल की पाॅचवीं बैठक दिनाॅक 11.09.2024 को प्रबन्ध मंडल के सामने गुमराह कर प्रस्तुत किया गया। 


उल्लेखनीय रहे कि विश्वविद्यालय की प्रबन्ध मंडल की चतुर्थ बैठक की कार्यवाही विवरण/पालन प्रतिवेदन के ऐजेण्डा आयटम नं० 4.04 में इनके द्वारा विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मंडल को पूरा प्रकरण ही बदल कर बताया गया है कि परीक्षण कराया जा रहा है, जबकि हकीकत में कुलसचिव के द्वारा कार्यवाही पत्र जारी कर नियुक्त किये गये लोकपाल को विश्वविद्यालय से क्या सुविधायें व मानदेय प्रदाय किया जाना है आदि की परीक्षण कराये जाने का विधिक परीक्षण कराया जा रहा है। यहाॅ हम स्पष्ट कर दें कि यू.जी.सी. की गाइडलाइन में पहले से ही इन सब के लिये प्रावधान किया हुआ है।


फिलहाल विश्वविद्यालय के प्रशासनिक मामले में यह एक बहुत ही गम्भीर प्रकरण हैं। विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी कुलसचिव के द्वारा विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मंडल को गुमराह करने के आरोप में क्या सख्त अनुशासनहीनता की कार्यवाही होगी या फिर हमेशा की तरह इस खबर के बाद भी अधिकारियों को मैनेज कर लिया जाएगा। खैर हम विश्विद्यालय से जुड़े मामले तब तक उठाते रहेंगे जब तक उच्चाधिकारी हरकत में नही आ जाते।

"
"