* वर्षो पुराने जर्जर भवन में संचालित आदिम जाति सहकारी समिति का कार्यालय।*

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* वर्षो पुराने जर्जर भवन में संचालित आदिम जाति सहकारी समिति का कार्यालय।*

 

*0समिति के कर्मचारियों व किसानों के लिए बना खतरा*


*0बारिश में भीग जाते है सरकारी दस्तावेज व सामान*


*0संचालन मंडल ने की नए भवन निर्माण की मांग*

 



बसंत यादव डांडगांव। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति का कार्यालय वर्षो से जर्जर भवन में संचालित है। हैरानी की बात यह है कि भवन का निर्माण हुए 40 वर्ष से अधिक हो चुके है बावजूद इसके मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं किया गया है। ऐसे में बारिश होते ही कर्मचारियों व किसानों की समस्याएं बढ़ जाती है। भवन के जर्जर होने से बारिश का पानी छत से टपकने लगता है जिससे अहाता में सीढ़न लगने से कार्यालय में रखे रिकार्ड तो खराब होते ही हैं साथ ही गोदाम में रखा खाद्-बीज भीग जाने से खराब हो जाती है। यह समस्या लंबे समय से बरकरार है बावजूद इसके आज तक भवन की मरम्मत के लिए किसी प्रकार की पहल नहीं हो सकी। ऐसा नहीं है कि संबंधित विभाग को इसकी जानकारी नहीं है इसके बाद किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिससे कार्यालय का संचालन पदस्थ कर्मचारी छत पर प्लास्टिक व तिरपाल ढक काम करने को मजबूर है।

उदयपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत डांडगांव में एनएच किनारे आदिम जाति सेवा सहकारी समिति का कार्यालय एवं गोदाम संचालित है। भवन निर्माण हुए लगभग 40 साल से अधिक गई है। सीट लगे इस भवन के न सिर्फ छत जर्जर हो गई है बल्कि भवन के काफी पुराने हो जाने से अहाता में कई जगह दरारें पड़ गई है। हालांकि अन्य मौसम में कर्मचारियों को परेशानी नहीं होती परंतु बरसात के मौसम में उनकी परेशानी काफी बढ़ जाती है। बारिश के दौरान ऑफिस का रिकॉर्ड सहित गोदाम में रखे खाद, बीज,दवा सीपेज व सिढन से भीग जाते है। इतना ही नहीं भवन के छोटे होने से एक साथ कई गांव के लोगों के समिति पहुंच जाने पर कार्यालय में पैर रखने तक की जगह नहीं होती जिससे ग्रामीण खुले आसमान के नीचे छतरी बारिश से बचने के लिए छतरी लेकर अपने बारी के इंतजार करते है। भवन इस कदर जर्जर हो चुकी है कि सीट लगे भवन के छप्पर कभी भी गिर सकती है जिसे लेकर कर्मचारी सहित ग्रामीण खास कर बरसात के दिनों में काफी भयभीत रहते है। भवन के काफी पुराने हो जाने पर ग्रामीण सहित संचालक मंडल ने कई बार नए भवन व गोदाम निर्माण की मांग की परंतु आज न तो भवन की मरम्मत हो सकी और न ही नए भवन व गोदाम निर्माण के लिए किसी प्रकार पहल हो सकी जिससे पिछले 40 साल से पुराने ढर्रे पर ही जर्जर भवन में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कार्यालय का संचालन किया जा रहा है।


*बड़ी संख्या में पहुंचते है ग्रामीण*


डांडगांव स्थित आदिम जाति सेवा सहकारी समिति अंतर्गत 32 गांव आते है। फसल के लिए खेत तैयार करने के साथ ही बत्तीस गांव के बड़ी संख्या में लोग समिति में खाद, बीज व दवा लेने के अलावा अन्य कार्य से पहुंचते है जिससे समिति में किसानों की भीड़ एकत्रित हो जाती है। एक तो भवन के जर्जर होने तथा दूसरी ओर लोगों की भीड़ बढ़ जाने से कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि विभागीय अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारियों का रोजना इस मार्ग से आवागमन होता है परंतु भवन की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता जिससे बारिश के दिनों में हर समय दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।


*प्लास्टिक व तिरपाल ढंक चला रहे समिति*


डांड़गांव समिति का भवन काफी व जर्जर हो चुकी है। जहां इट से जुड़े दीवार में जगह जगह दरार पड़ गई है। टीन का चादर लगाया गया है परंतु पुरारा होने के कारण टीन के चादर में जंग लगने से जगह-जगह छेद हो गया है। ऐसे में बारिश होने पर समिति में पानी भर जाता है जिससे समिति के सरकारी रिकार्ड के अलावा अन्य महत्वपूर्ण सामान भीग कर खराब हो जाते है। ऐसे में हर साल समिति के छत पर प्लास्टिक या तिरपाल ढक कर किसी प्रकार से काम चलाया जा रहा है।


*कराया गया है अवगत* 


भवन काफी पुराना होने के कारण जर्जर हो गया है। भवन में किसी प्रकार से जुगाड़ बना कर कार्यालय संचालन किया जा रहा है। इस संदर्भ में उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं।

प्रभारी समिति प्रबंधक सुरेंद्र प्रसाद डाँड़गांव

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